Sunday, June 12, 2005

अकसर सुनने को मिलता है कि अगर भारत जैसे देश के सकल घरेलु उत्‍पादमें अगले कुछ वर्षों तक वृध्‍दि होती रही तो सबको रोजगार का अवसर मिल जाएगा और भारत से गरीबी मिट जाएगी।लेकिन सकल घरेलु उत्‍पाद में वृध्‍दि होगी कैसे ? उदारवादी अर्थशास्‍त्री कहेंगे कि श्रम को कम उत्‍पादकता वाले क्षेत्र से अधिक उत्‍पादकता वाले क्षेत्र में निरन्‍तर स्‍थानान्‍तरित करते रहने से सकल घरेलु उत्‍पाद में वृध्‍दि होती हैऔर हमारा श्रम कानून जिसमें संगठित क्षेत्र के मजदूरों को किसी सीमा तक सामाजिक सुरक्षा दी गयी है इस लचीलेपन में बाधक है।उदाहरण आम तौर पर अमेरिका का दिया जाता है-

But US living standards rise only because workers are constantly forced out of lower-productivity jobs into higher-productivity ones. Every year, the US destroys 32 million jobs and creates 32.5 million jobs. The net result is a richer, more productive USA.

भारत के विशिष्‍ट संदर्भ में श्रम को अधिक उत्‍पादक बनाने के मार्ग में दूसरी महत्‍वपूर्ण बाधाएं भी हैं। क्‍या सरकार प्रत्‍येक दलित-आदिवासी बच्‍चे के माँ-बाप को अगले ८/१० साल तक ८/१० रुपये रोज के हिसाब से दे पाएगी ताकि अगले ६८ साल तक वे १०० प्रतिदिन के हिसाब से कमा पाएं और सकल घरेलुउत्‍पाद में सचमुच वृध्‍दि हो सके।८/१० रुपये रोज इसलिए क्‍योंकि माँ-बाप स्‍कूल जाने की उम्र में ही छोटे-मोटे काम में लगा देते हैं और इस तबके में स्‍कूल छोड़ने वाले बच्‍चों का प्रतिशत सबसे अधिक है।

क्‍या सरकार भविष्‍य के लिए यह मामूली निवेश कर पाएगी? क्‍या भारत का नागरिक-समाज झुठे प्रवचनों और रूढ़िबध्‍द सतही आर्थिक विश्‍वासों से उबर पाएगा ?


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रुपेश, लंदन

भारत के संदर्भ मे संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का उदाहरण देना किसी घपले से कम नहीं है। संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका अपने कुल GDP $10980.00 बिलीयन के साथ इस मामले मे विश्‍व मे सर्वप्रथम है और भारत अपने कुल GDP $3022.00 बिलीयन के साथ विश्‍व मे चौथे स्‍थान पर है लकिन संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका अपने प्रति व्‍यक्‍ति GDP $37800.00 के साथ इस मामले मे विश्‍व मे दुसरे स्‍थान पर है जबकि भारत अपने प्रति व्‍यक्‍ति GDP $2900.00 के साथ इस मामले मे विश्‍व मे एक सौ बावनमें स्‍थान पर है। हम तो यह कहेगे कि यह दृश्‍य आजादी के बाद भी भारत मे चल रहे शोषण की ओर इंगित करता है। प्रति व्‍यक्‍ति GDP का कुल GDP के साथ इस तरह असंतुलित होना शोषण नहीं तो और क्‍या है, भारत के संदर्भ मे संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का उदाहरण देना घपला नहीं तो और क्‍या है?

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